अरबी समुद्र की गहराई में मिली 10,000 साल पुरानी द्वारिका नगरी
गुजरात के अरब सागर से मिली 10,000 साल पुरानी द्वारका नगरी !!
अभी हाल ही में कई देशो में चल रहे संशोधनों से मालुम पड़ा की समंदर में फैके हुए कचरे से समंदर का पानी बिगड़ रहा है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो समंदर में लगातार बदलाव होंगे और इन बदलावों से धरती का नाश भी हो शकता है प्रलय से |इससे भविष्य में कोई अनहोनी न हो इसीलिए कई देशो की सरकार समंदरमे से कचरा निकालने की सतत कोशिश कर रही है, कुछ लोग अकेले भी ये काम कर रहे है जिससे पोल्युसन कम हो और सबकुछ पहले जेसा हो जाये |
साल 2000 से 2011 तक नेशनल इंस्टीट्यूट ओशन टेक्नोलोजी द्वारा समंदर में पोल्युसन की मात्रा जांचे का काम शुरू किया तब डॉ एस कथरोली के नेतृत्व में किये गए रिसर्च में सुरत शहर के नजदीक ओलपाड के डमभारी गॉव के समंदर के किनारे नर्मदा नदी के मुखप्रदेश से 40 किलोमीटर दूर और तापी नदी के मुखप्रदेश से नजदीक अरबी समंदर के उत्तर पत्चिमी के लगभग 130 फिट गहरे मिल लंबे और लगभग दो मिल चौडा 10 हजार साल पूर्व का नगर पाया गया उसके बाद मरीन आर्कियोलोजी विभाग द्वारा दो साल काम करके अलग अलग प्रकार के 1000 नमूने पाए गए |
जिनमे 250 नमूने पुरातत्व महत्त्व धराते है जिनमे पत्थरों के ओजार मिट्टी के बरतन नहेर की डटी हुई संरचना स्नानागार मूल्यवान पत्थर ब्रेसलेट त्रिमुखी प्रतिमा बाजुबंध बैल के शिंग के साथ मानव अस्थिया मिलने पर नगर में मानव वस्ती होने की बात को समर्थन मिला था |
इधर से मिले हुए एक लकड़े की चीज को कार्बन डेटिंग पद्धति से चकासने पर पता चला की ये 9500 साल पुरानी है इसके साथ हडप्पा संस्कृति के निर्माण जैसे तालाब स्नानागार और गटर जैसी चीजे भी मिली|
एक पुरातत्व विशेस्ग्न मितुल त्रिवेदी के कहने अनुसार द्वारिका एक राज्य था हाल ही की द्वारिका से सुरत तक आक्खे समंदर पर एक दिवार देखने मिलती है पौराणिक ग्रंथो के अनुसार जरासंघ यादवो पर हुमला करता था अंट में यादवो की सुरक्षा के लिए गरुड़ ने श्रीकृष्ण को मथुरा छोड़ अरब सागर के तट पर नगर बसाने की सलाह दी |
श्रीकृष्ण ने गोमती नदी के तट पर द्वारिका नगरी बसाई तब एक कथानुसार हिमयुग की समाप्ति के बाद समंदरी जलस्तर में बढ़ावा होने पर द्वारिका सहित अनेक नगर समंदर में डूब गए थे |
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