क्या आप जानते है - पहले के ज़माने में साईकिल इंसानों को चलती थी

साईकिल का अनसुना इतिहास |

पुराने समय के लोग कई आविष्कार करके गए है जो आज सब लोगो को फायदा कर्वात है |
क्या आप जानते पहले के ज़माने में साईकिल इंसानों को चलाती थी जिहा दोस्तों सही सुना पुराने समय में जब साईकिल में चेईन और पेडल नहीं थे सिर्फ टायर, हेंडल और बेठने जैसी पाटी ही थी |

साईकिल का आविष्कार अढारहसो सतह में हुआ जर्मनी में एक मेन्युअल मशीन ड्रेजिंन के जरिये हुआ था दरसल जर्मनी के एक सरकारी कर्मचारी कार्ल वोन ड्राइड ने इसका इजाज किया था |
साईकिल का यह नाम 1860 में फ़्रांस में पड़ा | इसके पहले 1840 तक साईकिल ऐसे ही पैर से धक्के मारकर चलती थी | साईकिल का पहला मोडल स्कोटलेंड के एक लोहार कर्क पेट्रिक मैकमिलेन ने बनाया था |

माना जाता है की 1817 जर्मनी के बैरन फोन ड्रेविस ने साईकिल की रुपरेखा तैयार की यह लकड़ी की बनी साईकिल थी और इसका नाम ड्रेसियन रखा गया था | साईकिल की स्पीड उस समय पन्दरा किलोमीटर प्रति घंटे थी | वैसे यूरोपीय देशो में बाईसिकल के प्रयोग का विचार लोगो के दिमाग में 18वी शताब्दी के उत्तराध में ही आ चूका था हालांकि इसके एक बार आविष्कार बाद साइकिल में कई तरह के बदलाव आते रहे |

भारत में भी साईकिल के पहियोने आर्थिक तरक्की में अहम् भूमिका निभाई | 1947 में आज़ादी के बाद अगले कई दसक तक देश में साईकिल यातायात व्यवस्था का अनिवार्य हिस्सा रही |
भारत में अब बाइक शौक ज्यादा है,लेकिन एक समय था जब देश में साईकिल का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता था | अनुमान के मुताबिक 1960 से लेकर 1990 तक भारत में ज्यादातर परिवारो के पास साईकिल थी |
एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में हर साल दस करोर ज्यादा साईकिल बनाई और बेची जाती है |
अनुमान के मुताबिक चाइना ऐसा देश है जहा लोग दुनिया में सबसे ज्यादा साईकिल का इस्तेमाल करते है | बताया जाता हे की हर घर में एक साईकिल है और देश में तकरीबन पच्चास करोड़ से ज्यादा साईकिल है |

खबरों की माने तो दुनिया में जापान पहेला देश है, जिसने केवल साईकिल पार्किंग के लिए अंडरग्राउंड मल्टीस्टोरी ओटोमेटिक पार्किंग सिस्टम लगाया हुआ है | सेहत के लिए भी साईकिल का बहुत ही महत्त्व का भाग है |

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